अमरनाथ का शव ताबूत में भर कर सरकार गांव में भिजवाती है तथा सैनिक सलामी के बीच उसका अंतिम संस्कार किया जाता है।
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सैनिक सलामी के बाद राइफल उलटी कर मातमी धुन बजाने के बाद जब अमरनाथ की चिता को आग लगायी गयी तो गौरी के बचे अरमान भी जलने लगे और चिता की लपटों में उसे जिंदगी का अंधकार दिख रहा था।